मुँह की खाना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? Muh Ki Khaana Muhavara Meaning in Hindi.

Munh Ki Khaana Muhavare Ka Meaning in Hindi / मुँह की खाना मुहावरे का अर्थ।

मुहावरा - "मुँह की खाना"।
“मुँह की खाना” मुहावरे का व्याख्या –

“मुँह की खाना” यह हिंदी भाषा में प्रयोग होने वाला एक बहुत ही उपयोगी मुहावरा है। इसका अर्थ परास्त होना अथवा बुरी तरह से हार जाना होता है।
व्याख्या – मुँह की खाना अर्थात जब हम कोई कार्य करते है या फिर हम किसी को कोई भी चुनौती देते है और उस चुनौती में हम बुरी तरह से हार जाते है तो उसे ही कहते है मुँह की खाना। जैसे- चुनाव में सबको पता था की इस बार भी दयाशंकर ही जीतेगा। फिर भी प्रहलाद ने उसके सामने चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया। जब चुनाव का रिजल्ट आया तो प्रहलाद को बुरी तरह से हारना पड़ा। प्रहलाद का चुनाव में बुरी तरह से हार जाने को ही “मुँह की खाना” कहते है।

Muh Ki Khaana Muhavare Ka Arth / “मुँह की खाना” मुहावरे का अर्थ।

  • मुहावरा – “मुँह की खाना”।
    – (Muhavara : Muh Ki Khaana).
  • हिंदी में अर्थ – परास्त होना / बुरी तरह से हार जाना / अपमानित होना।
    – (Meaning in Hindi : Parast Hona / Buri Tarah Se Haar Jana / Apmanit Hona).

“मुँह की खाना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Muh Ki Khaana Muhavare Ka Vaky Prayog.

“मुँह की खाना” इस मुहावरे का वाक्य प्रयोग नीचे दिये गये उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है।

उदाहरण- 1.

रानी को प्रिया से मुँह की खानी पड़ी। रानी शहर में रहने वाली एक हाई प्रोफाइल लड़की है। और प्रिया गाँव में रहने वाली एक साधारण सी लड़की। पर दोनो एक ही स्कूल में साथ में ही पढ़ते है। स्कूल में संगीत प्रतियोगिता रखी गयी जिसमे बहुत सारे बच्चों ने हिस्सा लिया। रानी हर बार प्रतियोगिता जीतती है। पर इस बार प्रिया ने भी प्रगतियोगिता में हिस्सा लिया है। रानी ने जब अपना संगीत सुनाया तो सब लोगो ने खूब तालिया बजायी। सबको यही यकीन था की इस बार भी रानी ही जियेगी। पर जब प्रिया की बारी आयी और उसने जब अपना संगीत सुनाना शुरु किया तो उसकी आवाज़ सुन कर सब मंत्रमुग्ध हो गये।

प्रिया की आवाज़ इतना मधुर था की मनो साक्षात् सरस्वती जी उसके कंठ में बैठी हो। आखिरकार फ़ैसला आ ही गया। प्रिया ने सबको परास्त कर दिया। रानी का भी घमंड चकना चूर हो गया। और रानी बुरी तरह से प्रतियोगिता हार गयी। रानी का प्रिया से परास्त होना ही “मुँह की खाना” कहलाता है।

उदाहरण- 2.

राहुल को दंगल में मुँह की खानी पड़ी। रामगढ़ गाँव में एक दंगल हो रहा था। राहुल भी दंगल में लड़ना चाहता था। पर राहुल को कुछ लोग समझा रहे थे कि तुम दंगल में मत लड़ो। लेकिन राहुल ने लोगो की एक नही सुनी। वह दंगल में उतर गया। दंगल में राहुल के सामने भीमा नामक पहलवान खड़ा था। भीमा ने राहुल को कुछ ही मिनटो में परास्त कर दिया। राहुल बहुत बुरी तरह से हार चुका था। राहुल अगर लोगो की कही बात मान लेता तो उसको इस तरह दंगल में हार कर “मुँह की खाना” की नहीं खानी पड़ती। अखाड़े में पहलवान से हारने के बाद राहुल को यह बात अच्छी तरह से समझ आ गया था।

उदाहरण- 3.

क्रिकेट के खेल में पाकिस्तान को भारत से हमेशा मुँह की खानी पड़ती है। क्रिकेट जगत में जब भी भारत और पाकिस्तान के बिच कोई मुकाबला होता है तो सारी दुनिया के क्रिकेट प्रेमी इस मैच को देखने के लिए हमेशा व्याकुल रहते है। और खासकर भारत और पाकिस्तान के लोग तो मानो इस मैच को देखने के लिए पागल हो जाते है। लेकिन पाकिस्तान हमेशा अपने देश के क्रिकेट प्रेमियों को निराशा ही करता है। पाकिस्तान हमेशा भारत के हाथो बुरी तरह से पराजित हो जाता है। पाकिस्तान का हमेशा भारत के हाथो परास्त होना ही “मुँह की खाना” कहलाता है।

हमें उम्मीद है की आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आ गया होगा। अपना सुझाव देने के लिए हमें कमेंट करें।

… … धन्यवाद !

 

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