फूला न समाना मुहावरे का क्या अर्थ है? Phoola Na Samana Muhavara Meaning in Hindi.

Phoola Na Samana Muhavare Ka Meaning in Hindi / फूला न समाना मुहावरे का अर्थ।

मुहावरा - "फूला न समाना"।
“फूला न समाना” मुहावरे का व्याख्या –

“फूला न समाना” यह हिंदी भाषा में बोले जाने वाला एक अतिमहत्वपूर्ण मुहावरा है। इसका अर्थ अत्यधिक प्रसन्न होना अथवा बहुत खुश होना होता है।
व्याख्या – संध्या जब परीक्षा में प्रथम स्थान पाकर उत्तीर्ण हुई तो उसके घर वाले फूले नही समा रहे थे। संध्या ने दसवीं की बोर्ड परीक्षा में पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसके घर वालो को जैसे ही यह सूचना मिली तो सबलोग बहुत खुश हो गये। पूरे क्षेत्र के लोग अतिउत्साहित हो रहे थे। गाँव में तो खुशी की लहर दौड़ उठी थी। अर्थात संध्या के परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उसके घर वालो और पूरे क्षेत्र के लोगो का अत्यधिक प्रसन्न होना ही “फूला न समाना” कहलाता है।

Phoola Na Samana Muhavare ka Arth / “फूला न समाना” मुहवरे का अर्थ।

  • मुहावरा – “फूला न समाना”।
    – (Muhavara : Phoola Na Samana).
  • हिंदी में अर्थ – अत्यधिक प्रसन्न होना / बहुत खुश होना / अति उत्साहित होना।
    – (Meaning in Hindi : Atyadhik Prasann Hona / Bahut Khush Hona / Ati Utsahit Hona).

“फूला न समाना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Phoola Na Samana Muhavare Ka Vaky Prayog.

“फूला न समाना” इस मुहावरे का वाक्य प्रयोग नीचे दिये गये उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है। जो की इस प्रकार हैं –

उदाहरण- 1.

14 वर्षो के बनवास के बाद जब श्री राम अयोध्या वापस आये तो अयोध्या वासी के लोग फुले नही समा रहे थे। श्री राम जी के बनवास जाने के बाद सभी नगरवासियों में दुख की लहर आ गयी थी। लेकिन जब 14 वर्षो के बाद उनको ये खबर मिली कि श्री राम आने वाले है तो नगर वासी अति उत्साहित हो गये। और जैसे ही श्री राम अयोध्या वापस आये तो नगरवासियों ने बहुत खुशी मनाई। एक एक नगर वासी को अत्यधिक प्रसन्नता हुई। अर्थात श्री राम जी के आने की खुशी में नगर वाशियों का अत्यधिक प्रसन्न अथवा खुश होना ही “फुला न समाना” कहलाता है।

उदाहरण- 2.

विनोद का जब उत्तर प्रदेश पुलिस में नियुक्ति हो गयी तो उसके पिता रामलाल फुले नही समा रहे थे। रामलाल का सपना था कि विनोद UPP में नियुक्त हो कर देश की सेवा करे। अपने पिता के सपनो को पुरा करने के लिए विनोद दिन रात मेहनत करता था। विनोद के मेहनत का ही फल था की वो चयन परीक्षा के साथ साथ शारीरिक मापदंड में भी औव्वल आया। सारी प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद जब विनोद को ज्वाइनिंग लेटर मिला तो वो सबसे पहले अपने पिता रामलाल को बताया। ये खबर सुनते ही रामलाल के खुशी का ठिकाना नही रहा। रामलाल बहुत खुश हुआ। रामलाल इतना अत्यधिक प्रसन्न था की वो पूरे मोहल्ले में मिठाइयां बटवाई। मतलब की बेटे का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में होने पर रामलाल का खुश होना ही “फुला न समाना” कहलाता है।

उदाहरण- 3.

मालती को जब उसका खोया हुआ बच्चा मिला तो वो फुले नही समा पा रही थी। मालती अपने 10 साल के बेटे के साथ ट्रेन से मुंबई से अपने घर आरही थी। स्टेशन पर उतरते ही उसका बेटा कही खो गया। मालती उसी स्टेशन पर उतर कर अपने बेटे को ढूंढ़ने लगी। मालती को अपने बेटे को ढूंढते ढूंढते शाम हो गयी। वह निराश होकर वही फर्ष पर बैठ गयी। कुछ देर के बाद मालती को माँ की एक आवाज़ सुनाई दिया। जैसे ही मालती पलट कर पीछे की तरफ देखी तो उसके खुशी का ठिकाना नही रहा। क्युकी पीछे जो माँ कहकर पुकारा था वह मालती का ही बेटा था। अपने खोये हुए बेटे को पाकर मालती बहुत खुश हुई। मालती की इसी खुशी का मतलब “फुला न समाना” होता है।

उदाहरण- 4.

रामू को जब पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो रामू बहुत खुश हुआ। रामू की सादी हुए 9 साल हो गये थे। लेकिन उसे संतान सुख प्राप्त नही हुआ था। लेकिन कहते हैं न कि भगवान के घर में देर है अंधेर नही। 10वे साल में रामू को भी संतान सुख मिला। उसे एक पुत्र प्राप्त हुआ। पुत्र की प्राप्ति से रामू अति उत्साहित था। रामू बहुत खुश था क्युकी उसे बहुत सालो के बाद संतान सुख मिला था। रामू का इस तरह से अत्यधिक प्रसन्न अथवा खुश होना ही “फुला न समाना” कहलाता है।

हमें उम्मीद है की आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आगया होगा। अपने सुझाव देने के लिए हमे कमेंट करें।

… … धन्यवाद !

 

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