घोड़े बेचकर सोना मुहावरे का अर्थ क्या होता है, इसका वाक्य प्रयोग कैसे किया जाता है ?

Ghode Bechkar Sona Muhavara Meaning in Hindi / “घोड़े बेचकर सोना” मुहावरे का अर्थ.

मुहावरा : “घोड़े बेचकर सोना”।

“घोड़े बेचकर सोना” हिंदी भाषा का एक प्रचलित मुहावरा है। जिसको लोग प्रायः बोल- चाल की भाषा में प्रयोग करते है।
जब कोई इंसान अपने जीवन में बड़ी उपलब्धि हासिल कर लेता है। या सभी प्रकार की चिंताओं और समस्याओं से मुक्त हो जाता है. तो उसके सम्बोधन के रूप में इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।

Ghode Bechkar Sona Muhavara Meaning in Hindi / “घोड़े बेचकर सोना” मुहावरे का अर्थ.

  • हिंदी मुहावरा : “घोड़े बेचकर सोना”।
  • हिंदी में अर्थ : निश्चिन्त हो जाना / चिंता से परे हो जाना / फुर्सत की स्थिति।

“घोड़े बेचकर सोना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Ghode Bechkar Sona Muhavare ka Vaky Prayog.

उदाहरण 1.

राजू के बोर्ड परीक्षा का दिन काफी नजदीक आ गया है। आजकल राजू पढ़ाई करने के वजह से बहुत ही कम नींद ले पाता है। वह बोलता है अभी अच्छे से पढ़ाई करके परीक्षा देगा। और परीक्षा समाप्त हो जाने के बाद वह “घोड़े बेचकर सोयेगा”. मतलब कि उसके पास ज्यादा काम नहीं होगा और वह पूरी नींद से सोयेगा।

उदाहरण 2.

रामू काका अपने दोनों बेटियों की शादी निपटाने के बाद अब काफी खुश दिखते है। ऐसा मानिये कि बेटियों की शादी कराने की जिम्मेदारी, रामू काका के पूरे जीवन का लक्ष्य रहा हो। और उनके इस जिम्मेदारी को पूरा हो जाने के बाद, रामू काका के चेहरे पर ख़ुशी की एक अलग ही छटा देखने को मिलती है।

रामू काका को इतना खुश देखकर उनके ऊपर एक कहावत विल्कुल सटीक बैठती है। जैसे कि कोई इंसान इतना खुश दिख रहा है मनो कि वह अपने जीवन में बहुत बड़ा लक्ष्य हासिल किया हो। और अब उसकी ख़ुशी “घोड़े बेचकर सोने” वाले व्यक्ति की भांति हो गयी है।

उदाहरण 3.

राहुल के पिता जी हमेशा उसको समझाते है कि बेटा अभी पढ़ाई की उम्र है ठीक पढ़ लो और एक अच्छी नौकरी ले लो। फिर आगे का जीवन तुम्हारे लिए आसान होगा। फिर तुम्हारी जिंदगी “घोड़े बेचकर सोने” वाले व्यक्ति की तरह होगी।

उदाहरण 4.

किसान के खेत में फसल लहलहा रही थी, और अब फसल धीरे धीरे पक रहा था। अब किसान के मेहनत का फल मिलने वाला था। लेकिन साथ ही यह डर बना हुआ था। कि फसल को कटने से पहले कोई नुकसान न पहुंचे। अब स्थिति ऐसी थी कि किसान रात में कभी कभी अचानक जाग जाता था। और खेत की तरफ चला जाता था। फसल को देखने के लिए कि फसल सुरक्षित है या नहीं। अब किसान को ज्यादा चिंता इसी बात कि लगी रहती थी कि फसल की उपज घर तक सही सलामत पहुंच जाये। कुछ और समय गुजरा, फसल अब पाक चुकी थी और उपज घर तक पहुंच भी गया।

किसान अब खुश है क्योकि उसकी यही कमाई होती पूरे साल की। इसी उपज के सहारे उस किसान का पूरा परिवार गुजारा करता है। उसके परिवार में आय का अन्य दूसरा स्रोत नहीं है। अब फसल की चिंता न होने के कारण किसान रात में मनो “घोड़े बेचकर सोता” है।

 

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