Aam Ke Aam Guthliyon Ke Daam / “आम के आम गुठलियों के दाम” मुहावरे का अर्थ क्या है?

आम के आम गुठलियों के दाम / Aam Ke Aam Guthliyon Ke Daam Muhaavare ka Meaning.

मुहावरा - "आम के आम गुठलियों के दाम"।

आम के आम गुठलियों के दाम (Aam Ke Aam Guthliyon Ke Daam

आम के आम गुठलियों के दाम, यह एक हिंदी का बहुत ही प्रसिध्द मुहावरा है। इसका मतलब होता है, एक से ज्यादा लाभ (या दोहरा लाभ) .

जैसा की अभी हमने ऊपर बात की, आम के आम गुठलियों के दाम का  मतलब होता है, एक से ज्यादा लाभ। शायद अभी भी आपको समझने में असुविधा हो रही होगी। हम आपको पूरी तरह से समझाने की कोशिश करेंगे ताकि दुबारा कभी आप यह मुहावरा कही देखे या कही पढ़े तो इसका पूरा मतलब अच्छे से समझ सके।

कुछ उदाहरण से समझने की कोशिश करते है की इसका अर्थ क्या होता है। और हम सभी के दिनचर्या का यह हिस्सा ही है, और हम सभी के बोल चाल का हिस्सा है। लेकिन कभी हम गौर नहीं कर पाते है कि यह वाक्य कैसे हमसे जुड़ा हुआ है।

आम के आम गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ / Aam ke Aam Guthaliyon ke Daam Muhavara Meaning in Hindi.

 

  • मुहावरा – “आम के आम गुठलियों के दाम”।
    – (Muhavara – “Aam ke Aam Guthaliyon ke Daam”).
  • मुहावरे का हिंदी में अर्थ – दोहरा लाभ प्राप्त करना / किसी कार्य को करने के मुख्य उद्देश्य से मिलने वाले लाभ के अलावा अन्य दूसरा लाभ भी प्राप्त होना।
    – (Muhavare ka Hindi Mein Arth – Dohra Laabh Praapt Karana / Kisee Kaary ke Karne ke Mukhy Uddeshy se Milne Vaale Laabh ke Alaava Anya Doosra Laabh Bhee Praapt Hona).

 

उदाहरण: 

दोस्तों आपको एक कहानी बताते है। मेरा एक मित्र है, उसका नाम है रमेश। हम दोनों लोग ट्रैन से दिल्ली जा रहे थे, एक प्रतियोगी परीक्षा देने के लिये। जून का महीना था। हम दिल्ली पहुँच चके थे और मेरे दोस्त रमेश को कुछ ज्यादा ही भूख लग रही थी। हमें सामने एक दुकान दिखाई दे रहा और हम दुकान पर जा पहुंचे। हमने सोचा कुछ फल खरीद कर खा लेते है। मैंने अपने दोस्त से पूछा कि क्या ख़रीदा जाये, उसने बहुत ही जल्दी  उत्तर दिया, दसहरी आम खरीदते है।

उसने मुझे बताया कि आम उसको बहुत ही ज्यादा पसंद है। लेकिन जो आम हमने खरीदा था उसको खाने के बाद रमेश ने मुझे बताया कि आम का स्वाद उसको पसंद नहीं आया। उसको सिर्फ ताजा आम ही खाना पसंद है, जो पेड़ के पके हुए ताजे आम होते है। उससे बात करके मुझे इतना तो पता चल गया था कि रमेश के जीवन में ताजा आम खाना कितना सुखद है उसके लिए।

मैंने रमेश को एक सलाह दी कि वह इस वर्ष अपने खेत में एक उत्तम प्रजाति का आम का पौधा लगाये। जिससे उसको ताजा और बेहतर गुढ़वत्ता वाला आम खाने कोई कठिनाई न आये। और मेरे दोस्त ने एक आम का पौधा अपने घर के बगल की खेत में लगाया। अभी वह पौधा एक पेड़ बन गया है, आम के सीजन में यह पेड़ फल से लद जाता है। और रमेश खूब ढेर सारी ताजा पके हुए आम बहुत ही चाव से  खाता है।

रमेश ने आम का पेड़ सिर्फ और सिर्फ, आम खाने के उद्देश्य से लगाया था। जोकि वह उसका लाभ उठा भी रहा है। लेकिन जो पेड़ उसने लगाया था उससे पर्यावरण को कितना फायदा हो रहा है। यह कितनी महत्वपूर्ण बात है दोस्तों। जोकि रमेश का शायद इस बात पर विचार भी न आया हो। लेकिन अनजाने में ही उसने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में उसका एक योगदान जुड़ गया है। जो सीधे समाज और पर्यावरण को लाभ पंहुचा रहा है।

इस तरह से रमेश का प्राथमिक उद्देश्य था, पेड़ से पके हुए आम खाने का। तो उसने पेड़ लगाया और उसका अन्य लाभ पर्यावरण और समाज को भी मिल रहा है।

इसी को कहते है “आम के आम गुठलियों के दाम ” .

इसी तरह के और भी मिलते जुलते मुहावरें है हिंदी में, जैसे कि –

 “एक पंथ दो काज ” 

“आम के आम गुठलियों के दाम”।

दोस्तों और भी तरीके है ऐसे मुहावरों और कहावतों को समझने और समझाने के लिए। कोई जरूत नहीं इतने बड़े उदाहरण से ही समझा जाये। लेकिन मेरा उद्देश्य इसके साथ कुछ और था। जैसे कि आपको पता होगा ही आजकल कितना मिलावट और प्रदूषण बढ़ता जा रहा है पर्यावरण में। सभी लोग क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वॉर्मिंग की बात कर रहे है। और होना भी चाहिए जिससे हम खुद और दुसरो को भी इसके बारे में जागरूक कर सके। जिससे पर्यावरण को और ज्यादा प्रदूषित होने से बचाया जा सके। क्योकि हम सभी को इसी धरती और पर्यावरण में रहना है।

अगर संभव हो तो आप भी अपने आस पास कम से कम एक पेड़ लगाये।

पर्यावरण को संरक्षित करे। 

…….. …….. एक और ब्लॉग के साथ मुलाकात होगी।

धन्यवाद।

 

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