हरी एक किसान है- एक ऐसी कहानी जो आपको प्रेरणा दे सकती है। पढ़िए पूरी कहानी।

"Hari Ek Kisan Hai" - Ek Aisi Kahani Jo Aapko Prerna De Sakati Hai.

हेलो दोस्तों, पिछले कई दिनों से एक कहानी याद आ रही थी दिमाग में तो सोचा आपसे शेयर किया जाये।

कहानी का शीर्षक है हरी एक किसान है. /Hari ek Kisaan. 

कहानी कुछ ऐसे है कि, ग्रामीण परिवेश है और एक किसान है। किसान का नाम है हरी और उसके पत्नी का नाम है धनिया। हरी किसान का एक छोटा परिवार है जिसमे उसकी पत्नी और दो बच्चे है। उसके बेटे का नाम गोली और बेटी का नाम लक्ष्मी है। यानि कि उसके परिवार में कूल चार लोग है।

हरी एक छोटा किसान है उसके पास बहुत कम मात्रा में भूमि है जिसमे वह खेती करता है। कड़ी मेहनत करके हरी अपने खेत में फसल उगाता है.और उसी फसल के उत्पाद के जरिये हरी अपने परिवार का भरण पोषण करता है। हरी कि स्थिति ऐसी है कि यदि परिवार में किसी की तबियत ख़राब भी हो जाये, तो उसको दवा कराने के बारे में सोचना पड़ता है।

अब हरी के दोनों बच्चे भी बड़े हो गए है और उनको पढ़ाई के लिए स्कूल भी भेजना है। हरी अपने बच्चो का नामांकन गांव के ही एक सरकारी विद्यालय में करवा देता है। अब गोली और लक्ष्मी स्कूल जाने भी लगते है। धीरे धीरे समय गुजरता गया और अब लक्ष्मी और गोली दोनों ही दसवीं की परीक्षा भी पास कर चुके थे। चूँकी लक्ष्मी और गोली दोनों के उम्र में केवल दो वर्ष का ही अंतर था तो हरी ने सोचा उन दोनों का नामांकन एक ही क्लास में करवाना ठीक रहेगा। जिससे पढ़ाई का कुछ खर्च भी कम आएगा।

जिंदगी के अनुभव और दुनियादारी ने हरी को इतना तो समझा ही दिया था कि जीवन में शिक्षा का क्या महत्व है। इसीलिए हरी अपने बच्चो को आगे भी पढ़ाई जारी रखने का फैसला किया। हरी के दोनों बच्चे पढ़ने में ठीक है। इसलिए हरी अपने दोनों बच्चो को एक अच्छी और उच्च शिक्षा मिले इसके लिए उनका एडमीशन एक निजी संस्था में करवाया।

हरी एक मिल में मजदूरी करने लगा

बच्चो के पढ़ाई का खर्च अब ज्यादा होने लगा था तो हरी एक मिल में मजदूरी करने लगा। और खेती की जिम्मेदारी हरी की पत्नी धनिया संभालने लगी। ऐसे ही एक दो वर्षो तक चलता रहा। एक दिन अचानक हरी की तवियत विगड़ गयी। और डाक्टर ने बताया कि हरी की तवियत ज्यादा काम करने के वजह से ख़राब हुई है। हरी और उसकी पत्नी ने यह निर्णय लिया कि तवियत ख़राब होने वाली बात अपने बच्चो से नहीं बताएँगे। ताकि बच्चों को ये न लगे कि पिता की तवियत काम करने वजह से ख़राब हुई है, और उन्हें इस बात का बुरा लगे।

ग्रेजुएशन का अंतिम वर्ष

गोली और लक्ष्मी अब ग्रेजुएशन (स्नातक) के अंतिम वर्ष में थे। दोनों अब काफी बड़े हो गए थे. अब दोनों अपने परिवार की स्थिति समझ सकते थे। जब वे दोनों छुट्टी में घर आये थे. तब लक्ष्मी को ये अंदाजा हो चूका था कि उसके पिता की तवियत इनदिनों ठीक नहीं रहती है। और लक्ष्मी को ये भी अंदाजा हो गया था कि उसके घर वाले उन दोनों से, पिता की तवियत ख़राब होने की बात क्यों छुपा रहे है।

लक्ष्मी के जीवन में इस बात का गहरा असर पड़ा, और उसके व्यक्तित्व में बहुत बड़ा बदलाव हुआ। लक्ष्मी ने यह संकल्प लिया कि अपने माता पिता के संघर्ष और त्याग को वह जाया नहीं जाने देगी। उसने यह निर्णय लिया कि वह मेहनत से पढ़ाई करेगी और एक अच्छी नौकरी अपने मेहनत के बल लेगी। जिससे अपने माता पिता का नाम रौशन कर सके और उनके त्याग और संघर्ष को सम्मान दे सके।

इधर हरी मिल में लगातार काम करता रहा। हरी को ये बात अच्छे से पता थी कि अगर वह मिल में काम करना बंद कर देगा तो बच्चो की पढ़ाई बाधित हो जाएगी। और बच्चो के कॉलेज की फीस देने का अन्य कोई साधन भी नहीं है। इसलिए हरी मिल में मजदूरी करना जारी रखा। हरी विल्कुल नहीं चाहता था कि उसके बच्चे भी ऐसी ही गरीबी का सामना करे जिससे वह गुजर रहा है। हरी को ये भी पता है कि इस गरीबी से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है कि बच्चो की पढ़ाई पूरी हो, जिससे उसके बच्चो एक अच्छी नौकरी मिल सके।

लक्ष्मी को नौकरी मिल गयी

इधर लक्ष्मी और गोली का ग्रेजुएशन भी पूरा हो चूका था। इस वर्ष लक्ष्मी ने यूपीएससी की परीक्षा के लिए आवेदन दिया था। इस वजह से वह पिछले एक साल से घर नहीं गयी थी। फिर परीक्षा का दिन आया और लक्ष्मी ने परीक्षा लिखा। जब दो महीने बाद प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट घोषित हुआ तो उसमे लक्ष्मी का नाम भी आया। रिजल्ट देखकर लक्ष्मी के आँखों में आँसू आ गया। इसके बाद मुख्या परीक्षा और इंटरव्यू में भी लक्ष्मी ने सफलता हासिल की।

अब लक्ष्मी के पास एक सरकारी नौकरी है जो देश की सबसे प्रतिष्ठित और सबसे उच्च स्तर की नौकरी मानी जाती है। लक्ष्मी ने एक उम्मीद पाली थी जिसे वह अपने आँखों के समाने साकार होता देख रही थी। लक्ष्मी ने जब लिस्ट में अपना नाम देखा तो उसकी आँखों में सिर्फ आंसू थे। मनो कोई व्यक्ति ध्यान हो और अपने आराध्य को इतनी बड़ी सफलता मिलने के बदले धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हो।

लक्ष्मी ट्रैन पकड़कर घर आ गयी और अपने माता पिता को यह खुश खबरी सुनाई। उसके माता पिता यह खबर सुनकर बहुत खुश हुए। हरी मन मन ही अपने बेटी के सफलता पर इतरा रहा था और भगवान को धन्यवाद ज्ञापित कर रहा था।

बेटी के पास अब एक प्रतिष्ठित नौकरी है यही बात सोचकर हरी खुश हो रहा था। और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। लक्ष्मी अपने पिता के इस भाव को बहुत अच्छे तरीके से समझ रही थी। इसलिए लक्ष्मी भी अपने पिता के लिए खुश थी।
यह दृश्य देखने योग्य था।

आपने क्या सीखा इस कहानी से

कहानी यही पर समाप्त हो जाती है। अब आप बताइये दोस्तों इस कहानी से आपने क्या सीखा। इस कहानी से हमे सिखने की जरूरत है कि सच्चे मन से किया गया मेहनत काफी विफल नहीं होता है। हां उसके सकारात्मक परिणाम आने में वक्त लग सकता है। हर माता पिता के जीवन का एक ही उद्देश्य होता है कि उनके बच्चो का जीवन कैसे उज्जवल हो सके। इसी प्रयत्न में वें अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर देते है। उन्हें अपने भविष्य और अपने ख़ुशी की कोई चिंता नहीं होती है। उनके लिए उनके बच्चे ही पूरा संसार है। एक माता पिता के लिए बच्चो की सफलता ही उनके लिए ख़ुशी का माध्यम होता है।

इसलिए सम्मान कीजिये अपने माता पिता की। उन्हें खुश रखने का पूरा प्रयत्न कीजिये। माता पिता से ज्यादा जरुरी आपके लिए कुछ भी नहीं है इस दुनिया में। जिस दिन आप इस बात को समझ जायेंगे, आपके व्यक्तित्व में बदलाव हो जायेगा।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here