नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ क्या है? /Nanch Na Jaane Aangan Tedha Muhavara Meaning in Hindi.

नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ / Nanch Na Jaane Aangan Tedha Muhavara Meaning in Hindi.

मुहावरा : "नाच न जाने आंगन टेढ़ा".

“नाच न जाने आंगन टेढ़ा” एक हिंदी का प्रसिध्द कहावत है। जिसको हिंदी भाषी लोग प्रायः किसी अन्य व्यक्ति के लिए, कटाक्ष के रूप में प्रयोग करते है। जब कोई व्यक्ति किसी विषय पर अपनी जारकारी रखने का दावा करता है। लेकिन जब उसके ज्ञान अथवा कला का प्रदर्शन करने की बारी आती है तो वह असफल रहता है। वह व्यक्ति अपने असफल होने सारा दोष समय और परिस्थिति पर डालने का प्रयास करता है। लेकिन अपना हार मानने के लिए तैयार नहीं होता है।
ऐसे ही लोगो के लिए हिंदी भाषा में एक के जरिये संज्ञा दी जाती है। जैसे कि “नाच न जाने आंगन टेढ़ा”.
हमे उम्मीद है अगर आप हिंदी भाषा समझते है और नही भी समझते है तो, आपने अपने जीवन में कभी न कभी तो इस मुहावरे को बोला होगा या नहीं तो सुना जरूर होगा।

नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का अर्थ / Nanch Na Jaane Aangan Tedha Muhavara Meaning.

  • हिंदी मुहावरा : “नाच न जाने आंगन टेढ़ा”.
  • हिंदी में अर्थ : अपनी असफलता का दोष समय / परिस्थिति पर डालना।

नाच न जाने आंगन टेढ़ा मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Nanch Na Jaane Aangan Tedha Muhaavare ka Vaky Prayog.

उदाहरण 1.

अमित की शादी में उसके ढेर सरे दोस्त आये हुए थे। अमित के दोस्त डीजे पर डांस कर रही थे। लेकिन उसका एक दोस्त राजू डांस करने से बच रहा था या कहे तो छुप रहा था। जब सभी दोस्त राजू को भी डांस करने के लिए बोले तो उसने कहा भाई मै ऐसे जाने पर डांस नहीं करता हूँ। राजू बोलता है डीजे वाले के पास अच्छा गाना नहीं है, जिसपर डांस किया जा सकता है। सच तो ये था कि राजू को नाम मात्र का डांस आता था। इसीलिए वह बात को घुमा रहा था। इसे ही हम कहेंगे “नाच न जाने आंगन टेढ़ा” .

उदाहरण 2.

एक पति अपनी पत्नी से कहता है कि आज खाने में राजस्थानी कढ़ी चावल बनाओ, बहुत दिन हो गए है कढ़ी चावल खाये हुए। पति बोलता है कि हमेशा बाहर ही खाया है कढ़ी चावल, आज घर पर बना हुआ कढ़ी चावल खाया जाये। पत्नी बोलती है मै तो बना देती कढ़ी चावल लेकिन आज मेरा सर दर्द कर है। फिर किसी दिन बनायेगे, आज नहीं। सच तो ये था कि उसके पत्नी को कढ़ी चावल बनाने ही नहीं आता था। ऐसे जगह पर भी “नाच न जाने आंगन टेढ़ा” जैसा मुहावरा सटीक बैठता है।

उदाहरण 3.

रानी अपने सहेलियों के ग्रुप में एक गीत गा रही थी। बहुत ही बेसुरा आवाज में गा रही थी। रानी अपने सहेलियों से बोलती है कि आज उसका गला साथ नहीं दे रहा है, अन्यथा वह अच्छे शुर में गीत गाती है। उसकी एक सहेली, बगल में बैठी अन्य दूसरी सहेली से धीरे से बोलती है कि “नाच न जाने आंगन टेढ़ा” .

उदाहरण 4.

रवी अपनी दसवीं की परीक्षा में बहुत ही कम अंक हासिल किया। लेकिन वह अपने दोस्तों से बताता है कि मैंने तो उत्तर बहुत ही अच्छे लिखे थे परीक्षा में। लेकिन टीचर ने उसके लिखावट पर अंक काट लिया होगा। तभी उसके अच्छे अंक नहीं आये दसवीं में। इसे ही कहेंगे, “नाच न जाने आंगन टेढ़ा”.

 

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