खाक छानना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? / Khaak Chhanana Muhavara Meaning in Hindi.

Khaak Chhanana Muhavare ka Meaning in Hindi / खाक छानना मुहावरे का अर्थ।

मुहावरा - "खाक छानना"।

“खाक छानना” मुहावरे का व्याख्या।
“खाक छानना” यह एक प्रचलित मुहावरा है। इस मुहावरे का मतलब मारा मारा फिरना या यूं कहे तो भटकना होता है। व्याख्या- श्रावण मास मे एक शिव मंदिर पर बहोत बड़े मेले का आयोजन किया गया था। उस मेले मे अशोक नाम के एक व्यक्ति की सायकिल चोरी हो गयी। बेचारा अशोक पूरे मेरे का “खाक छान” दिया, पर उसे उसकी सायकिल नही मिली। अशोक का अपने सायकिल के लिए यूँ मारा मारा फिरना ही “खाक छानना” कहलाता है।

Khaak Chhanana Muhavare Ka Arth / खाक छानना मुहावरे का अर्थ।

  • मुहावरा – “खाक छानना”।
    – (Muhavara – Khaak Chhanana).
  • हिंदी मे अर्थ – इधर उधर भटकना / दर दर भटकाना / मारा मारा फिरना / गलियों मे भटकना।
    – (Hindi Mein Arth – Bhatakana / Dar Dar Bhatakana / Mara Mara Firana / Galiyon Me Bhatakana).

“खाक छानना” मुहावारे का वाक्य प्रयोग / Khaak Chhanana Muhavare Ka Vaky Prayog.

“खाक छानना” मुहावारे का वाक्य प्रयोग नीचे उदाहरण देकर समझाया जा रहा है। इन उदाहरणों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और समझिए।

उदाहरण 1.

पुलिस को गुप्तचरों ने सूचना दिया, कि आज रात दामिनी ज्वेलर्स मे चोर चोरी करने के लिए वहा जाएंगे। ये सूचना मिलते ही पुलिस सतर्क हो गयी। और दामिनी ज्वेलर्स के इर्द गिर्द पुलिस पहरा देने लगी। पुलिस का पहरा होने के बाद भी चोरो ने अपने काम को अंजाम दे दिया। पुलिस चोरो को पकड़ने के लिए “खाक छानती” रह गयी। पर चोरो को पकड़ नही सकी। पुलिस का यही दर दर भटकना या यूं कहे तो गलियों मे भटकना ही “खाक छानना” कहलाता है।

उदाहरण 2.

फिलिफ़्स के पास बहोत रुपये हैं । इसलिए वह उन रुपयों की कीमत नही समझता है। फिलिफ़्स अपने दोस्तों के साथ खूब मौज मस्ती करता है। रुपयों को पानी की तरह बहता है । कुछ ही दिनों मे फिलिफ़्स का सारा रुपया समाप्त हो जाता है। अब फिलिफ़्स एक एक रुपये के लिए “खाक छानता” है। मतलब कि वह रुपयों के लिए अब दर दर भटकता रहता है। फिलिफ़्स का रुपयों के लिए भटकना ही “खाक छानना” कहलाता है।

उदाहरण 3.

आशीष के मन ईश्वर के प्रति बहोत लगाव था। वह हर वक़्त ईश्वर के भजन गाने और सुनने मे व्यस्त रहता था। एक दिन आशीष अपने गुरु से पूछा, हे गुरुवर कृपया मुझे ये बताने का कष्ट करें कि इस संसार मे ईश्वर है या नही। आशीष के गुरु ने जबाब दिया कि ईश्वर सर्वत्र हैं । वे हर जगह उपस्तिथ हैं । बस उन्हे लगन से ढूंढने की जरूरत है। अपने गुरु की यही बात सुन कर आशीष निकल ईश्वर की खोज मे निकल पड़ा।

आशीष दर दर भटकता रहता था। वह अपने प्रभु की खोज मे मारा मारा फिरने लगा। मतलब कि आशीष अपने ईश्वर की तलाश मे “खाक छान” दिया। पर उसे ईश्वर कही भी नही मिले। वह एकांत मे बैठ कर ईश्वर की साधना करने लगा। फिर उसे यह ज्ञात हुआ कि जिनको पाने के लिए मै दर दर भटक रहा हु वो ईश्वर तो हमारे अंदर ही विद्यमान है। इसे ही कहते है कि एक भक्त का अपने ईश्वर को पाने के लिए “खाक छानना”

उदाहरण 4.

राम और श्याम दो भाई थे। कुछ समय बाद दोनो भाइयो की सादी हो गयी। राम अनपढ़ था और श्याम पढ़ा लिखा। दोनो पर जब परिवार की ज़िम्मेदारी बड़ी तो वो काम की तलाश मे निकल पड़े। श्याम पढ़ा लिखा था तो उसे काम मिल गया। जिससे वो अपने परिवार का ख्याल रखता था। पर राम के अनपढ़ होने की वजह से वह काम के लिए मारा मारा फिरने लगा। राम काम के लिए इधर उधर भटकता था। राम का काम के लिए इस तरह भटकना ही “खाक छानने” जैसा था।

उदाहरण 5.

रूपा की तबियत बहोत ज्यादा खराब थी। उसको तुरंत इज़ाल की जरूरत थी। डॉक्टर ने बोला था कि अगर एक सप्ताह के अंदर रूपा का ऑपरेशन नही हुआ तो उसका देहांत हो जायेगा। डॉक्टर की यही बात सुनकर रूपा का पती सुरेश रुपयों की तलाश में “खाक छानने” लगा। मतलब की वह पैसो का इंतेज़ाम करने के लिए दर दर भटकाने लगा। पर उसे कही भी पैसे नही मील रहे थे। एक नेक इंसान से सुरेश को इस तरह भटकता देख कर इसका कारण पूछा। सुरेश ने सारी बाते बतायी । फिर उस नेक इंसान से उसकी मदत कि जिससे कि रूपा का आपरेशन सफलता पूर्वक हो गया। सुरेश का पैसों के लिए इस तरह भटकना ही “खाक छानना” कहलाता है।

“खाक छानना” इस मुहावरे का अर्थ आपको समझ में आगया होगा। अगर आपको और कोई भी मुहावारे का अर्थ जानना हो तो निचे कमेंट बॉक्स में लिखें और हम तक पहुचाये।

… … धन्यवाद !

 

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