छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? Chhati Par Patthar Rakhna Muhavare Ka Arth in Hindi.

मुहावरा - "छाती पर पत्थर रखना"।

“छाती पर पत्थर रखना” मुहावरे का व्याख्या –

“छाती पर पत्थर रखना” यह हिंदी भाषा मे प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण मुहावारा है। इसका अर्थ हृदय को कठोर करना अथवा दुःख सहने के लिए हृदय को कठोर करना होता है।

व्याख्या – शर्मा जी की एक ही एकलौती बेटी थी। जिसे शर्मा जी अपनी जान से भी ज्यादा लाड प्यार करते थे। वो अपनी बेटी को देखे बिना एक दिन भी नही रह पाते थे। लेनिक शर्मा जी ने अपने “छाती पर पत्थर रख कर” शादी के दिन अपनी एकलौती बेटी की बिदाई किया।

Chhati Par Patthar Rakhna Muhavare Ka Arth / छाती पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ।

 

  • मुहावरा – “छाती पर पत्थर रखना”।
    – (Muhavara : Chhati Par Patthar Rakhna).
  • हिंदी मे अर्थ – हृदय कठोर करना / कठोर हृदय वाला व्यक्ति / चुपचाप दुःख सह लेना / दुःख सहने के लिए दिल को कड़ा करना ।
    – (Hindi Mein Arth : Hriday Kathor Karna / Kathor Hriday Wala Vyakti / Chup Chap Dukh Sah Lena / Dukh Sahane ke Liye Dil ko Kada Karna).

“छाती पर पत्थर रखना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Chhati Par Patthar Rakhana Muhavare Ka Vakya Prayog.

 

“छाती पर पत्थर रखना” मुहावरे का अर्थ नीचे उदाहरणों के माध्यम से समझा जा सकता है।

उदाहरण- 1.

मंशा अपनी बेटी लक्ष्मी के साथ अकेले रहती थी। वह दिन भर काम करके शाम को जब घर आती तो लक्ष्मी को घूमते हुए देखकर उसे बहुत दुख होता था। मंशा लक्ष्मी को पढ़ा लिखा कर कामयाब बनाना चाहती थी। इसलिए लिए उसने अपने “छाती पर पत्थर रखकर” लक्ष्मी को पढ़ने के लिए हॉस्टल मे भेज दिया।

उदाहरण- 2.

परमवीर के माता पिता ने अपनी छाती पर पत्थर रखकर उसे आर्मी मे जाने लिए आज्ञा दे दिया। परमवीर अपने माता पिता का एकलौता संतान था। बचपन से ही उसका एक ही सपना था की एकदिन वह आर्मी जॉइन करेगा। पर उसके माता पिता ऐसा नही चाहते थे। वो डरते थे की हमारा एक ही संतान है अगर कुछ अनहोनी हो गया तो हमारा सहारा कौन होगा? पर वो भी क्या करते, समय के साथ उन्होंने भी अपने दिल को कठोर कर लिया और अपने बेटे को आर्मी में जाने की अनुमती दे दी। परमवीर के माता पिता का अपने दिल को कठोर करना ही “छाती पर पत्थर रखना” कहलाता है।

उदाहरण- 3.

वैशाली छाती पर पत्थर रख कर अपने पति की सेवा करती रहती है। वैशाली का पति बिना कोई काम किये दिन भर इधर उधर भटकता रहता है। और तो और वह मदिरा का सेवन भी करता है। जब भी वैशाली अपने पति को कुछ समझती तो उसके साथ वो दुर्व्यवहार करता रहता है। वैशाली अपने ही घर मे चुपचाप दुःख सह कर रहने लगी। और उसका हृदय कठोर हो गया। अब वैशाली को कोई फर्क नही पड़ता कि उसका पति उसके साथ कैसा दुर्व्यवहार करता है। वैशाली का इस तरह से अपने ही घर मे दुःख सह कर रहना ही “छाती पर पत्थर रखने” के समान है।

उदाहरण- 4.

मा बाप अपनी इच्छाओ को त्याग कर छाती पर पत्थर रख लेते है। ताकि मा बाप अपनी संतानो की इच्छा पूर्ति कर सके। वो हर दुःख सहन कर लेते है जिससे की उनके बच्चों को कोई तकलीफ ना हो। अपने बच्चों के लिए अपनी इच्छाओ का परवाह किये बिना “छाती पर पत्थर रखकर” उनकी सभी मांगो को पुरा करते रहते है।

उदाहरण- 5.

रौनक़ को बड़ी मेहनत के बाद एक अच्छी नौकरी मिली थी। पर कुछ लोगो को उसका काम करने का तरीका अच्छा नही लगता था। इसलिए वो लोग रौनक़ को नौकरी से निकलवा दिये। बेचारा रौनक़ “छाती पर पत्थर रखकर” चुपचाप अपने गांव चला गया।

हम आशा करते है कि आपको इस मुहावारे का अर्थ समझ मे आगया होगा। अपने सुझाव देने के लिए हमे कमेंट करें।

… … धन्यवाद !

 

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