छाती पर मूंग दलना मुहावरे का क्या अर्थ होता है? -Chhati Par Moong Dalna Muhavare ka Meaning in Hindi.

मुहावरा - "छाती पर मूंग दलना"।

“छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का व्याख्या –

“छाती पर मूंग दलना” यह हिंदी भाषा का सामाजिक तौर पर अत्यधिक प्रयोग किये जाने वाला मुहावारा है। इसका अर्थ पास रहकर कष्ट देना या फिर किसी को निरंतर दुःख देना होता है।

व्याख्या – आत्माराम जी के घर मे उनका पुत्र (महेश), पुत्री (रेशमा) और उनकी पुत्रवधु (मालती) बहोत आराम से अपना जीवन यापन कर रहे होते है। आत्माराम जी की पुत्रवधु (मालती) अभी नईनवेली है। मालती अपनी ननद रेशमा को बहोत कष्ट देती है। पास मे रहकर मलती रेशमा से काम करवाती और उसे निरंतर दुःख देती रहती है। मालती का पास मे रहकर अपनी ननद रेशमा को इस तरह से कष्ट देना ही “छाती पर मूंग दलने” के समान है।

Chhati Par Moong Dalna Muhavare ka Arth / “छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का अर्थ।

 

  • मुहावरा – “छाती पर मूंग दलना”।
    – (Muhavara : Chhati Par Moong Dalna).
  • हिंदी मे अर्थ – पास रहकर कष्ट देना / निरंतर दुःख देना / किसी के निकट रहकर उसे कष्ट देना।
    – (Meaning in Hindi : Paas Rahakar kasht Dena / Nirantar Dukh Dena / Kisi ke Nikat Rahakar Use Kasht Dena).

“छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग / Chhati Par Moong Dalna Muhavare Ka Vakya Prayog.

 

“छाती पर मूंग दलना” मुहावरे का वाक्य प्रयोग नीचे उदाहरण के माध्यम से समझा जा सकता है।

 

उदाहरण- 1.

राखी का पति जबतक था वो राखी को बहोत मानता था। पर जब राखी के पति का देहांत हो गया, उसके बाद उसकी सास हमेशा उसके छाती पर मूंग दलती रहती है। घर मे राखी और उसकी सास साथ रहते है। लेकिन राखी की सास समेशा उसे कष्ट देती रहती है। उसे ताने मारती रहती है। छोटे छोटे कामों के लिए राखी को हमेशा दुःख देती रहती है। राखी के सास द्वारा राखी को इस तरह से निरंतर कष्ट देना ही “छाती पर मूंग दलना” कहलाता है।

उदाहरण- 2.

राज और अमन अच्छे दोस्त है। पर राज हमेशा अमन के छाती पर मूंग दलता रहता है। राज और अमन दोनो साथ मे अपनी दुकान चलाते है। पर अमन थोड़ा काम करने मे अनाकानी करता है। जिसकी वजह से राज अमन को बोलता रहता की कुछ काम किया करो ऐसे खाली मत बैठो। अमन ऐसी ही बाते बोलकर राज को कष्ट देता रहता है। मतलब की राज अमन के साथ रहते हुए भी उसे दुःख देता रहता है। और राज का यही बर्ताव अमन के “छाती पर मूंग डलने” के समान है ।

उदाहरण- 3.

राजेश नामक एक अध्यापक अपने कक्षा के बच्चों के छाती पर हमेशा मूंग दलता रहता है। बच्चे जब भी उस अध्यापक का कहना नही मानते वो बच्चों को मरता और उन्हे कष्ट देता रहता है। अगर बच्चे गृहकार्य करके नही आते तो भी उन्हे समझाये बीना ही उन बच्चों को दुःख देता रहता है। अध्यापक द्वारा बच्चों को इस तरह से प्रताड़ित करना ही उनके “छाती पर मूंग दलना” कहलाता है।

उदाहरण- 4.

मालकिन अपने घर के नौकरो के छाती पर हमेशा मूंग दलती रहती है। घर के नौकर बहोत मेहनत से काम करते रहते है। वो काम करते करते थक जाते। पर अगर नौकर एक मिनट के लिए भी आराम करने लगते तो मालकिन तुरंत उनको कष्ट देने लगती। इतनी मेहनत के बाद भी बेचारे नौकर मालकिन द्वारा दिये हुए दुःख सहते रहते है। यानी मालकिन काम ना करने की बात कहकर नौकरों के “छाती पर मूंग दलती” रहती है।

उदाहरण- 5.

रमेश अपने माता पिता के छाती पर मूंग दलता रहता है। रमेश के माता पिता ने उसको बहोत पढ़ाया लिखाया। उसको काबिल बनाया की वह कही भी दो पैसा कमा कर अपना और अपने परिवार का ख्याल रख सकता था। पर रमेश अपने माता पिता को निरंतर कष्ट देता रहता था। वो उनकी बाते नही मानता। अपनी मनमानी करता रहता। इधर उधर घूमता रहता। और कभी कभी अपने माता पिता को भी जबाब दे देता था। इसका अर्थ ये है की रमेश हमेशा अपने माता पिता के “छाती पर मूंग दलता” रहता है।

हम उम्मीद करते है की आपको इस मुहावरे का अर्थ समझ में आगया होगा। अपने सुझाव देने के लिए हमे कमेंट करे।

… … धन्यवाद !

 

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